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लहरें...



“अगर लहरों ने तुम्हारा क़िला गिरा दिया तो?
“अरे, नहीं गिराएंगी... उनसे permission जो ली है मैंने..... जब तक मैं यहाँ हूँ तब तक यह क़िला मेरा है....”
“और उसके बाद...???
“ वैसे सब तो इनका ही है..... मेरे जाने के बाद इनकी मर्जी.... चाहे इस क़िले में आ बसें ... या अपने साथ बहा ले जाएँ .... मुझे क्या..."
मैं बस मुसकुराता हूँ ....... 
“ ओ हैलो... तुम हंस क्यों रहे हो.... मैं मज़ाक नहीं कर रही.... मैं तो इनसे बातें भी करती हूँ..... यह मेरी बातें समझती हैं और मैं इनकी ... simple है..."
“ हूँ... अच्छा तो जरा हमें भी बताओ क्या क्या बातें की तुमने इनसे....."
“रहने दो तुम्हारे बस का रोग नहीं इन्हे समझना..... वैसे एक बात बताऊँ..... बड़ी भोली हैं यह... कहती है... पास आओ थोड़ा प्यार दो.... तुम्हारे पैरों में आ पड़ूँगी.... पाँव चूम लूँगी तुम्हारे.... पर यह प्यार सबके लिए नहीं है... उनके लिए तो बिलकुल ही नहीं, जो अपने आप में खोये हुये हैं.... पड़े हुये हैं एक दूसरे की बाहों में..... selfish people…… सागर किनारे आ के भी लहरों के लिए वक़्त नहीं इनके पास....”
बड़ी अजीब सी है यह लड़की.... बोलते-2 फिर कहीं खो गयी.... आपने आप में..... उसकी खामोशी पढ़ने की कोशिश करता हूँ... इससे पहले कुछ समझ आए .... अचानक से बोल पड़ती है....
“जब बचपन में यहाँ आती तो लगता था जैसे recess में hide and seek खेल रही हों.... या छुट्टी की घंटी बजते ही होड सी लगी है सबसे आगे भाग निकाल जाने की....”
हंसने लगती है कहते कहते...  मैं पूछता हूँ...
“ और अब क्या लगता है...?”
“ सालों से क़ैद हैं बेचारी... बधी हुयी हैं नियमों- कायदों में.... उलझी हुई हैं समंदर के बंधनों में.... तोड़ के सारे बंधन..... नियमों को ताक़ पर रख भाग जाना चाहती हैं... पर इस दुष्ट समंदर ने पहरेदार बीठा रखा है.... साहिल इन्हे जाने नहीं देता.... सर पीट-2 के उसके दर से लौट आती हैं.... आसमां मे बैठा सूरज इनकी बेबसी पर हस्ता रहता है............”
थोड़ी मायूस सी दिखती है..... मेरी ओर देख कहती है….
“जानते हो..... नियमों और बंधनों को तोड़ना आसान नहीं होता......”
मैं बस चुप ही राता हूँ.... उसके चेहरे पर घिर आए मायूसी के बादल एक पल में ही गायब हो जाते हैं.... अचानक से खड़ी होती है.... मेरा हंथ पकड़ खिचती है.... कहती है....
चलो आइसक्रीम खाते  हैं....”
मैं उसके साथ खिचा चला जाता हूँ.... .जाते-2 मूड के देखता हूँ तो पाता हूँ .... लहरें उसके क़िले को अपनाने में मशगूल हैं......

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