आखिर मेरी खता क्या है?
जब भी सूखता हूँ, गीला कर जाते हो!
तनता हूँ और तुम गिराने आ जाते हो.
मेरी हस्ती को मिटने की कोशिश कर तुम क्या पाते हो?
उस रोज उकता कर साहिल ने समंदर से पूछा ...
समंदर एक कुटिल मुस्कान मुस्काया..
एक लहर से साहिल के कन्धों को थप-थपाया
बोला...
मैं अनन्त , अथाह और अपराजेय हूँ....
पर तुमसे जलता हूँ...
क्योंकि तुम वहां से शुरू होते हो..
जहाँ मैं ख़तम होता हूँ.....
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