कुछ रिश्ते कितने अजीब होते हैं ना?
हम जानते हैं, बुझते हैं, पर उन्हें समझ नहीं पाते!
लड़कों का एक झुण्ड बैठा, रोज तम्हे देखता रहता है,
तुम हंसती हो, मुस्कराहट उनके चेहरे पर आती है.
तुम अपने उलझे बालों को सुलझाती हो और चमक
हम जानते हैं, बुझते हैं, पर उन्हें समझ नहीं पाते!
लड़कों का एक झुण्ड बैठा, रोज तम्हे देखता रहता है,
तुम हंसती हो, मुस्कराहट उनके चेहरे पर आती है.
तुम अपने उलझे बालों को सुलझाती हो और चमक
उनकी आँखों में आती है.
Canteen में बैठे-2 हर शाम मैं
Canteen में बैठे-2 हर शाम मैं
उस झुण्ड को तुम्हे देखते हुए देखता हूँ!
तुम उन्हें नहीं जानती शायद. .
तुम उन्हें नहीं जानती शायद. .
या जान कर भी अंजान हो.
तुम्हे याद भी न हो, जब तुम एक रोज उदास, मायूस से बैठी थी,
और वो झुण्ड?
और वो झुण्ड?
तुमसे कही ज्यादा उदास, मायूस था!
लेकिन जब उस रोज झुण्ड के सब लोग उदास थे,
लेकिन जब उस रोज झुण्ड के सब लोग उदास थे,
तुम आई, तम्हे उनकी उदासी से सरोकार ही क्या?
उनकी उदासी तो तुम्हे छू कर भी नहीं गुजारी!
पर!
पर!
तुम खुश थी और वो बेमन ही तुम्हारी ख़ुशी में शरीक हो गए !
आखिर क्यों?
आखिर क्यों?
यह कैसा रिश्ता है?
रिश्तों की समझ नहीं है मुझे,
रिश्तों की समझ नहीं है मुझे,
और नाही कभी इस रिश्ते को समझ पाउँगा,
यह रिश्ता भी कुछ विकासशील देशों और अमेरिका के रिश्ते
जैसे ही कुछ होगा !
Recession अमेरिका में आता है,
और market अपना धराशाही हो जाता है!
उधर कर्जे में अमेरिका डूबता है,
और इधर हमारे शेयर. .
आज शाम को तुम्हे हंसते हुए देखा,
Recession अमेरिका में आता है,
और market अपना धराशाही हो जाता है!
उधर कर्जे में अमेरिका डूबता है,
और इधर हमारे शेयर. .
आज शाम को तुम्हे हंसते हुए देखा,
उस झुण्ड के लबों पर हंसी चिटक रही थी. .
तबसे तुम, मुझे 'अमेरिका' सी लगती हो.
और झुण्ड कुछ विकासशील देश. . .
तुम 'Weapon of mass destruction' सी नज़र आती हो,
तबसे तुम, मुझे 'अमेरिका' सी लगती हो.
और झुण्ड कुछ विकासशील देश. . .
तुम 'Weapon of mass destruction' सी नज़र आती हो,
और वो झुण्ड . . .............................. . . . .
इन सब के बीच मैं एक मूकदर्शक सा बैठा रह जाता हूँ!
इन सब के बीच मैं एक मूकदर्शक सा बैठा रह जाता हूँ!
टिप्पणियाँ
@ amit ji apaka bhi bahut aabhar!